Thursday, August 30, 2018

बिहार की कोकिला तीस्ता ने सूना किया भोजपुरी का आंगन

पिछले साल 10 जुलाई को अनुभूति शांडिल्य 'तीस्ता' ने अपने फ़ेसबुक पेज पर सावन को समर्पित ये लाइनें लिखी थीं. कमेंट बॉक्स में संजय कुमार पांडेय नाम के एक शख़्स के पूछने पर कि इस गीत का ऑडियो वर्जन कब आएगा, तीस्ता ने जवाब दिया था कि जल्दी ही निकलने वाला है.
अब तो इस साल का सावन भी बीत गया, लेकिन इस गीत का ऑडियो कहां है? पता कैसे चलेगा? फ़ेसबुक स्क्रॉल करते-करते नज़र तीस्ता के भाई उद्भव शांडिल्य की एक पोस्ट पर गई. इस साल के सावन के बीत जाने के अगले दिन यानी 27 अगस्त को उद्भव फ़ेसबुक पर लिखते हैं-
"लौट आओ मेरी अपराजिता"
भैया तुमसे साहित्य पढ़ने आया है और तुम्हारे लिए ब्रिटैनिया का केक भी लाया है.
27 अगस्त की शाम उद्भव शांडिल्य पटना एम्स में भर्ती अपनी बहन तीस्ता को देखने गए थे. तब तक डॉक्टरों ने कह दिया था शरीर के सारे ऑर्गन फेल हो चुके हैं. केस अब हाथ के बाहर है. फिर भी भाई उद्भव को न जाने क्यों लग रहा था कि बहन जिसको वह "अपराजिता" कहा करता था, लौट कर आएगी.पिछले एक हफ़्ते से सोशल मीडिया पर सक्रिय भोजपुरिया समाज जिस तीस्ता की सलामती की दुआएं मांग रहा था, जिस तीस्ता के लिए लोकगायिका पद्म श्री शारदा सिन्हा और भोजपुरी के लोकप्रिय गायक भरत शर्मा "व्यास" सरीखे कलाकारों ने भी मदद के लिए गुहार लगाई थी और जिस तीस्ता की मृत्यु के बाद सोशल मीडिया पर यह पढ़ने को मिल रहा था-
पिता उदय नारायण सिंह ने फ़ेसबुक पर 28 अगस्त की शाम एक पोस्ट लिखी था. उन्होंने लिखा कि "तीस्ता ना रहली (तीस्ता नहीं रही)".
उनके इतना कहने के बाद से ही सोशल मीडिया पर लोग तीस्ता को श्रद्धांजलि देने लगे हैं. बिहार और भोजपुर के कला जगत से जुड़े लोग तीस्ता के जाने को लोकागाथा गायन की संस्कृति के लिए एक अपूरणीय क्षति बता रहे हैं.
तीस्ता का असल नाम अनुभूति शांडिल्य है. उम्र महज 17 साल. इसी साल बिहार बोर्ड से 12वीं की परीक्षा पास की थीं. फ़ेसबुक से जो कुछ पता चल पाया उसके अनुसार "तीस्ता" लोकगाथा गायन की पारंपरिक व्यास शैली का पालन करते हुए कुंवर सिंह की वीरगाथा गाती थीं.
बिहार में छपरा ज़िले के रिविलगंज की रहने वाली तीस्ता के पिता उदय नारायण सिंह ख़ुद भी संगीत के शिक्षक हैं. कई कार्यक्रमों में आयोजित तीस्ता की प्रस्तुतियों में मंच पर वो भी अपनी बेटी के साथ नज़र आते थे.
महज 13 साल की उम्र में तीस्ता ने पहली बार मैथिली-भोजपुरी अकादमी की तरफ़ से आयोजित एक कार्यक्रम में अपनी गायन शैली और भावपूर्ण नृत्य की प्रस्तुति से सबका दिल जीत लिया था.
इमेज कॉपीरइट  देवेंद्र आगे कहते हैं, "ऐसा लग ही नहीं रहा था कि वो उसकी पहली प्रस्तुति थी. मुझे याद है कि वहां मौजूद कला समीक्षक डॉ धीरेंद्र मिश्रा ने मंच से यह कहा था कि अनुभूति के रूप में भोजपुरी को "तीजनबाई" मिली है. क्योंकि वह न सिर्फ़ अपनी खनकती आवाज़ में गा रही थी, बल्कि भावमय नृत्य से सीधे श्रोताओं और दर्शकों के दिलों में उतर भी रही थी.''
तीस्ता की अधिकांश प्रस्तुति छत्तीसगढ़ की लोकगायिका तीजनबाई की पांडवानी शैली में होती थी. इसमें महिलाएं पुरुषों की कापालिक गायन शैली की तरह भावमय नृत्य के साथ खड़े होकर प्रस्तुति देती है.
बिहार और भोजपुरी के लोकगायन के क्षेत्र में 17 साल की एक लड़की अपनी तरह का अनोखा प्रयोग कर रही थी. इसलिए लोग उसे बिहार की तीजनबाई कहकर पुकारते हैं.
अनुभूति शांडिल्य यानी तीस्ता के उस पहले प्रदर्शन का क़िस्सा सुनाते हुए देवेंद्र नाथ तिवारी कहते हैं, "उस कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री रामबहादुर राय भी थे. तीस्ता की प्रस्तुति देखन के बाद भावविभोर हो उठे. कहने लगे कि भोजपुरी प्रतिभा की खान है. तीस्ता को गाते हुए देखकर ये विश्वास अब और भी पुख्ता हो गया है. उन्होंने तो उसी दिन ही कह दिया था कि यह भोजपुरी संस्कृति की सबसे कम उम्र की संस्कृति दूत है, बड़े मंचों की कलाकार है."
E दिल्ली के पालम स्थित दादा देव ग्राउंड में आयोजित उस कार्यक्रम में भोजपुरी लोकगायन की पारंपरिक व्यास शैली में कुंवर सिंह की वीरगाथा गाकर तीस्ता ने उसी दिन कला जगत में अपनी पहचान बना ली थी.
तीस्ता के उस पहले परफॉर्मेंस के साक्षी रहे देवेंद्र नाथ तिवारी याद करते हुए कहते हैं, "उतनी कम उम्र में उस बच्ची के लय, ताल, आरोह, अवरोह, भाव, मुद्रा और रस की समझ को देखकर सभी हतप्रभ थे. तीन दिनों तक चले उस कार्यक्रम में अनभूति ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन बेहद कुशलता से किया था."
महज 17 साल की उम्र में किसी भी लोकगायिका के लिए "बिहार की तीजनबाई" जैसा उपनाम पा जाना कोई खेल नहीं है. पिता उदय नारायण सिंह के मित्र और वरिष्ठ पत्रकार निराला बिदेशिया कहते हैं कि "तीस्ता ईश्वरीय देन थी. इतनी कम उम्र में भी वह बदलाव को महसूस कर रही थी. इसलिए उसने लीक से हटकर लोकगाथा और लोकगीतों के गायन की परंपरा को चुना."
निराला कहते हैं, "इतना समझ लीजिए कि भोजपुरी इस समय कला और संस्कृति के मामले में संकटग्रस्त है. चारों तरफ़ अश्लीलता का भौंडा प्रदर्शन हो रहा है. शारदा सिन्हा, भरत शर्मा व्यास, चंदन तिवारी जैसे उंगली पर गिने जाने भर लोग ही बचे हैं जो भोजपुरी की संस्कृति और कला को स्थापित करने की लड़ाई लड़ रहे हैं. तीस्ता उन्हीं में से एक थी.''
इतनी कम उम्र में कहां से मिली तीस्ता को इतनी प्रवीणता! इस सवाल का जवाब यशवंत मिश्रा से बेहतर कौन बना सकता है जो दस दिनों तक पटना एम्स में भर्ती तीस्ता के साथ हर पल मौजूद रहे और पिता उदय नारायण सिंह का हौसला बढ़ाते रहे.
वो कहते हैं, ''उदयनारायण ख़ुद एक मंझे हुए लोकगायक और संगीत के शिक्षक हैं. इस तरह संगीत तो तीस्ता को विरासत में ही मिला था. आप कह सकते हैं कि वो उदय नारायण सिंह की आवाज़ थी. लोकगाथा और लोकगीतों के गायन की सीख उसे पिता से ही मिली है. संगीत पिता का होता था और बोल बेटी के होते थे. दोनों की अद्भुत जुगलबंदी थी.''
पिता उदय नारायण को दो दिन पहले ही मालूम चल गया था कि तीस्ता अब जीवन की आख़िरी सांस ले रही है. डॉक्टरों ने असमर्थता ज़ाहिर कर दी थी. उन्होंने बीबीसी के साथ बातचीत में कहा कि पटना एम्स प्रबंधन ने अपनी समर्थता तक हर संभव कोशिशें की. मगर लगातार बुखार रहने के कारण किडनी और लिवर बुरी तरह से प्रभावित हो गए थे.
तीस्ता के असमय इस दुनिया को छोड़ कर चले जाने के मायने उदय नारायण सिंह के लिए बिल्कुल अलग हैं. तीस्ता के गुरु और पिता की संयुक्त भूमिका निभाने वाले उदय नारायण सिंह को दोहरा सदमा लगा है.
बीबीसी के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि वे तीस्ता के साथ लेकर कई प्रोजेक्ट्स में लगे थे. गंगा गाथा से लेकर द्रौपदी और कृष्ण गाथा तक आना बाकी था. अब तीस्ता ही नहीं है तो गाथा कौन गाएगी.

Sunday, August 26, 2018

《野生动物保护法》不能背离生态文明大趋势

试想一下,当你走进家门口一家普通的超市,货架上陈列有虎骨酒、鹿茸酒、冷冻鳄鱼肉、熊胆粉、麝香中成药、梅花鹿肉罐头、娃娃鱼等清一色由国家重点保护动物制成的产品,均明码标价、与柴米油盐等日常货物一道公开出售。

《野生动物保护法》二十六年以来第一次进行全面修订。目前正在征集社会意见的草案,第一次明确提出野生动物可以作为中医药药品、保健品和食品来进行经营利用。如果目前的草案最终成为法律, 那么开篇描述的那些场景很可能成为“合法”现实。

置身上述场景,你会认为中国成了一个更重视生态文明的社会吗?

《野生动物保护法》修改的大背景,是多部与生态和环境相关的法律集体大修,以全面清理现行法律法规中与推进生态文明建设不相适应的内容。然而,《野生动物保护法》目前草案的部分内容,却与当下建设生态文明和绿色社会的大趋势背道而驰。

《中共中央 国务院关于加快推进生态文明建设的意见》明确要求“切实保护珍稀濒危野生动植物”, 并且通过修改有关法律法规来“引导、规范和约束各类开发、利用、保护自然资源的行为”,并且“推动全民在衣、食、住、行、游等方面加快向勤俭节约、绿色低碳、文明健康的方式转变,坚决抵制和反对各种形式的奢侈浪费、不合理消费”。

食用珍贵、濒危野生动物,据报道从刑法解释来看,属于违法行为
;将濒危野生动物以药品和保健品来消费,是否合理、文明、健康,也值得质疑。

更值得注意的是,作为我国唯一的一部以野生动物保护为名的法律,草案却明文提出:因“人工繁育”等其它特殊需要,经省级主管部门批准,可捕猎国家重点保护野生动物;因“人工繁育、公众展示(演)等其它特殊需要”,经省级主管部门批准,可以出售、收购和利用国家重点保护野生动物及其制品。

国家重点保护动物是珍稀、濒危物种,对生态平衡有重要作用。更何况,上述条文没有限定人工繁育、公众展示(演)的具体目的,也就是说商业养殖也能获准猎捕、马戏团等商业机构也能获准买卖和利用国家重点保护野生动物。

去年二月,深圳某公安局长邀官员聚餐酒楼吃娃娃鱼,该新闻里的娃娃鱼就来自于养殖场。野生动物商业性繁育已经成为一个产业,而这个产业正将娃娃鱼这一极度濒危的物种逼上绝路。一份最近对娃娃鱼养殖业的研究发现,中国娃娃鱼的野生种群在过去三十年减少了百分之八十。由于繁育不易,娃娃鱼经常被从野外捕捉。面临类似情况的还有老虎、黑熊、梅花鹿、多种蛇类和龟类物种——快速增长的野生动物养殖产业变换着手段寻找商机,刺激了民众对野生动物制品需求。但是,野生动物制品并非必需品,往往属于奢侈消费、甚至是“拉关系”手段。因此,助长这样一个产业,与当下反腐倡廉的风气极其不符。

市场力量

其实,开篇的场景并不全是预言,绝大多数所列举的商品已经凭借职能部门的规章制度获得销售许可,却处于法律意义上的“灰色地带”。

自2003年,国家有关主管部门以公告的形式,分十几个批次公告了获得“中国野生动物经营利用管理专用标识”的企业及其产品。根据公开资料,获得上述标识的产品除了在国际上引得诸多争议后中国承诺终止销售的“象牙”之外,更包含几乎所有能想象到的珍贵野生动物制品。

以2007年的一份公告为例,公告的产品包括“含赛加羚羊角、穿山甲片、稀有蛇类成份的中成药;稀有蛇类原材料生产的乐器、皮具、皮件、保健食品、洗涤、化妆用品;虎皮、豹皮及其制品;野生动物标本;暹罗鳄鲜(冻)鳄肉制品、肉干系列制品、鳄鱼膏、保健酒;梅花鹿茸酒、鹿茸血酒、鹿血酒、鹿茸胶囊”等80多家企业百来种珍稀野生动物制品。

一位热心动物保护法律的律师指出,中国野生动物经营利用乱象的根本原因是立法的错位和越位。他认为,国家林业局的部门规章利用了现行《野生动物保护法》中含糊的用词,使得一系列的严重违法行为在部门规章的遮掩下得以合法运作。

《野生动物保护法》草案,不但延续了旧法中模糊的用词,例如上述的“…等其它特殊需要”,还明确要制定一个允许利用人工繁育国家重点保护动物名录,第一次提出要将上述“标识”制度列入法律。

2013年,《国家重点保护野生动物驯养繁殖的管理条例》征求社会意见,社会各方强烈反对因商业目的驯养和利用国家重点保护野生动物,该条例腹死胎中。类似的提法再次出现在《野生动物保护法》的草案中,实属倒退。

以我国最濒危野生动物之一的老虎为例,目前国内仅存不到50头野生虎,却有超过5000头人工繁育老虎。按照国际标准,这些老虎多数不是以“保护野生虎种群”的目的所繁育。尽管联合国条约出于对野生虎的保护,要求关闭商业性质的老虎繁育场所。主管部门却对多数 “以虎养虎”的商业行为睁一只眼闭一只眼——中国两家最大的老虎养殖场所生产的保健酒,均被授予了“标识”可合法销售。老虎养殖业规模的快速扩大和政策上的松动,使得老虎的利用和贸易暗涛汹涌:国内近年有关老虎的奇闻怪事——雷州老板吃虎案、温州街头虎尸案、动物园虐虎事件以及非法流通多地来自马戏团的老虎等,这些都来自老虎人工繁育场所。

最近一份报告称,在过去四十年中,中国的陆生脊椎动物种群数量下降了一半,生物多样性丧失的情况非常严峻。目前正在修改中的《野生动物保护法》,仍然有机会成为挽救中国生物多样性的重要工具。其中关键一步,就是要暂停和关闭对国家重点保护动物的商业繁育,并且删除所有对国家重点保护动物经营利用的条款。

点击阅读《野生动物保护法》草案,并在欢迎2016年1月29日前提交您的意见

Friday, August 17, 2018

拉美:中国基础设施投资新前沿

过去十年来,中国已成为发展中国家基础设施项目的主要投资方和建设者。由于中国储蓄率极高,国内投资放缓,中国开始着眼世界,投资于从西非到亚马逊地区的各类基础设施项目。

而“一带一路”倡议(BRI)则是推动这些投资的主要力量之一。自2013年习近平主席提出“一带一路”倡议以来,项目资金逐渐增加(目标1万亿美元),投资范围已扩大到70多个国家。这种海外投资不仅体现了中国雄心勃勃的外交政策,而且也给地缘政治带来了深刻的影响。

随着中方基础设施投资项目四处开花,专家、各国政府和媒体围绕这个问题的争论也在不断升温。 无论是围绕具有战略意义的斯里兰卡海港经营权的长期纠纷,还是“中巴经济走廊”()这个饱受争议的“一带一路”重点合作项目,中国的全球角色引发了诸多疑问。

基础设施提供者

问题的核心在于,中国是许多拉丁美洲和加勒比(LAC)国家公共基础设施项目投资的主要提供者。 2018年初,中国邀请LAC加入“一带一路”倡议。目前中方在该地区共有100多个正在设计、建造过程中的土木工程项目,投资总额达600亿美元。中国似乎已经成为填补该地区能源和交通基础设施长期资金缺口的主要资金提供方。

我们在新书——《打造新时代发展:中国在拉丁美洲和加勒比地区的基础设施项目》中分析了这一现象的核心趋势和挑战。该研究基于全球研究机构和学者之间跨学科领域的务实合作,其中包括来自亚洲、欧洲、拉丁美洲和美国的政治科学家、经济学家、人类学家和发展实践者。本书着重分析了拉丁美洲和加勒比国家的不同案例,是第一本对中国基础设施投资进行评估的图书。

中国影响不断扩大

在中国政府贷款的支持下,中国企业开始在亚马逊和巴塔哥尼亚兴建大坝和水力发电厂,为了降低货运成本和加强互联互通,在巴西、秘鲁和委内瑞拉等国铺设数千公里的铁路。中国的开发银行甚至为阿根廷提供资金,建设一座先进的核电站。香港的一位亿万富翁已经获准修建一条横跨尼加拉瓜的运河。该运河与巴拿马运河一样,连接太平洋和大西洋。这是近几十年来最雄心勃勃的土木工程项目(虽然存在诸多挑战和不确定因素)。

我们对中国基础设施投资的分析表明,这些投资不仅深化了中国政府与那些早已建立了高层次贸易关系的国家之间的双边关系,还进一步提高了致力于拓展海外业务的中国企业的经济利益。

如今中国的海外投资规模在三十年前是很难想象的。近代中拉关系经历了几个不同,但并非壁垒分明的阶段。20世纪90年代开始,中拉商业关系快速增长。随着2008年金融危机爆发,中国向拉美和加勒比地区提供了大量对外直接投资(OFDI)。自2013年以来,中国开始积极参与该地区大型基础设施项目的建设。

路途坎坷

由于这些合资项目都有其新颖性,因此投资拉丁美洲和加勒比地区基础设施项目为中国企业提供了一个重要的学习机会,而目前,这些企业对当地的文化和法规还没有做好充分的准备。

我们发现,由于担心项目会对环境造成污染,以及会给当地居民以及他们的生计带来危害,中国在拉美地区的大多数项目都遭到了当地的群众的强烈反对。例如,中石化在哥斯达黎加莫因港和厄瓜多尔亚苏尼国家公园的炼油厂项目就面临着人们对于其环境影响的担忧。前者由于首次评估存在严重疏漏而遭到了国家环境部长的反对,而后者则因为80万人签署请愿书而被政府叫停。

阿根廷圣克鲁斯的孔多克里夫和拉巴朗科萨水电大坝在未进行环境影响评估的情况下就开工建设,而最终被阿根廷最高法院下令叫停。有时候,地方法院的干预会对项目的可行性和公司的经济状况产生负面影响。

由于企业倾向于雇佣中国人而非本地工人,特别是管理和高层技术人员,劳工问题也日益突出。企业应该增加规划、设计、建造和管理岗位当地工人、技术人员和管理人员所占的比例。

对于东道国来说,透明度不足和主权丧失方面的担忧一直是公众讨论的重点。尽管如此,我们收集的证据无法得出中方的贷款和经营活动有害于拉丁美洲的经济或政治发展的结论。这些投资在填补了该地区基础设施缺口的同时,还结成了可以帮助他们发展经济,提升国际地位的新的盟友关系。

汲取经验教训

我们研究发现,中国若希望当地项目取得成功,必须深入当地社区,加强与当地民间社会的沟通和反馈(而不是基于国与国之间谈判这种自上而下的方式)。这些企业应加强财务预测和预算能力,尽量缩小预估成本与最终成本之间的差距。作为复杂资本货物供应的“后来者”,中国企业应尽量减少一些典型障碍产生的影响:创新体系不完善、本地供应链不发达,以及行业网络协调经验不足等。如此,中国才可以跳出一家公司控制整个供应链、当地合作伙伴和中国供应商享有特权的垂直整合模式。

环境和劳工问题方面的担忧极有可能还会持续下去。但是,东道国需要提高透明度,鼓励竞争,并且出台更严格的法律。反过来,中国可以通过与美洲开发银行和CAF(拉丁美洲开发银行)等机构合作,完善和增加在该地区的融资、规划和管理。中国企业可以在遵守劳工和环境标准方面做得更好。

互惠伙伴关系

中国为拉美地区提供了亟需的资金,填补了他们的投资真空。没有证据表明,在拉丁美洲和加勒比地区修建公路、铁路和港口会给区域一体化或与欧美的传统国际联盟构成威胁。中国企业可以利用在该地区开展业务的机会积累宝贵的经验。相比中国的其他投资目的国(如非洲),拉丁美洲和加勒比地区的法律标准体系相对较为完善。

中国和拉美和加勒比地区之间的战略伙伴关系不是基于意识形态,其与阿根廷总统毛里西奥·马克里、巴西总统米歇尔·特梅尔和智利总统塞巴斯蒂安·皮涅拉之间的长期关系就可以说明这一点。这些国家以及我们书中所讨论的其他国家并没有因为获得中国的投融资而危害到自身的宏观经济形势(我们并没有在书中讨论委内瑞拉用石油还贷的案例)。​

 “一带一路”倡议的重要性不容小觑。其巨大的覆盖面(连接亚洲、非洲、欧洲和大洋洲)对贸易、能源、运输和基础设施能够产生重大影响。随着我们进一步收集中国参与拉丁美洲和加勒比地区基础设施的系统性证据,我们将会更好地理解“一带一路”对该地区的广泛影响。为了避免评估失之片面和偏颇,这是非常重要的。而片面和偏颇的评估对我们理解中拉之间重要的伙伴关系毫无价值。

英文原文首发于中外对话子网站中拉对话

Wednesday, August 15, 2018

谢谢你,再见——北京煤电小史

18日上午9:42,随着4号机值长刘勇按下停止键,北京市最后一座燃煤电厂——华能北京热电厂的所有燃煤机组实现停机。至此,北京市原有的四座燃煤电厂已全部关停,和几代北京人成长记忆密切相关的大型燃煤电厂将成为历史,彻底告别这个国家的首都。

自上世纪50年代随工业化起步,
经济发展的基本规律是电力先行。作为现代化的重要标志,电力供应是工业生产的基础,和城市化直接联系。

工业在“赶英超美”的口号下快速发展,北京城区的用电需求也连续多年持续增长,电力缺口日趋加大。根据后来北京市统计局和国家统计局公布的数据,北京地区1958年的年用电量为7.87亿千瓦时,而在1949年,这一数字仅为
北京作为大都市的进化在80年代后愈发迅猛,到2016年,北京的用电量已经达到1020亿千瓦时,比起1958年的7.9亿多万千瓦时又翻了近130倍。高速增长的电力需求的背后,是大规模的煤炭燃烧及污染物排放。

长期以来,在北京乃至整个国家的电力供应结构中,煤电都占据了极其重要的地位,梳理1952-2012年的发电量构成,火电占比一直在80%左右,而在火电中,绝大部分是燃煤电厂,占比在95%左右。多年来,中国一直积极优化电源结构,控制燃煤电厂的投资新增,火电在发电装机容量中的比例也由1952年的90%降低到了2015年的59%。

2001年,北京获得奥运会举办权之后,提出“绿色奥运”作为理念之一,摆脱煤烟污染的城市形象被提上政府的工作议程,北京市政府提出了全市压减燃煤的要求,燃煤机组的排放限值也不断收紧。四大燃煤电厂在此期间均进行了大规模的环保升级改造,脱硫、脱销、除尘,减排效果明显。

环保也成为了北京奥运会的重要遗产。奥运后的次年,时任国家发改委副主任、国家能源局局长张国宝
明确表示,四大燃煤电厂位于市中心,影响城市减排和发展,并提出全部改建燃气机组的构想。一个在当时看来不切实际的能源结构调整计划在国家的直接推动下逐渐酝酿成形——在北京全面用天然气替代燃煤发电供热。

反对和质疑之声不仅来自于企业,政府内部也有不少担忧,但环保的诉求终究随着雾霾占了上风。

2010年代以来,雾霾以越来越频繁的次数、越来越严重的程度侵袭北京。经历了2012年严重污染的冬季之后,中国开始全面治理大气污染。

2013年的冬天到来前,北京市政府公布了自己的《
清洁空气行动计划》:5年内,煤炭被要求在能源消费比重中降至10%以下,大量补充燃气发电供热设施,四大燃煤电厂也被下令逐个关闭。取而代之的,是城区东南西北四个方位的燃气热电中心,它们将使用更为清洁的天然气作为动力来源。

但值得注意的是,北京的煤电淘汰和能源自给度的降低是同时发生的。同一份《清洁空气行动计划》提出,到2017年北京70%的电力将从其他地区调入。因此,中国首都告别煤电厂的意义有多大程度上是象征性的,还取决于北京周边地区乃至更大范围的能源结构转型速度。万千瓦时,10年的时间翻了近10倍。

在此背景下,石景山发电厂高井电站工程于 年破土动工。15年后这座燃煤电站才在文革末期建成,总装机容量60万千瓦,供热面积 万平方米,用于满足北京西部的用电和供热需求。


加上赶在1990年北京亚运会前改建完成的京能石景山热电厂,和文首提到的华能北京热电厂,最多有四座煤电厂同时在北京运行,为首都提供制暖和能源。年代在市场经济改革中不断改建重组,最终确立为四大煤电厂的供电供暖体系,到 年代在环境压力下全部关停,北京的燃煤电厂见证了半个多世纪中国社会的沧桑巨变。
从 年中华人民共和国成立到1950年代,刚刚执掌政权的中国共产党逐步提出了“工业现代化、农业现代化、国防现代化、科学技术现代化”的国家战略目标,“建设四个现代化”被写在工厂的车间、贴在宿舍的走廊、印在作业本的封面,以社会主义特有的宣传方式进入中国人的语言体系。

中国的年轻人或许对于提出这个目标的年代没有概念。在提出“建立一个独立的、比较完整的工业体系和国民经济体系,使工业大体接近世界先进水平”这样雄心勃勃的“初步”目标的时候,中国还是一个传统的农业国家,工业体系全无基础可言。

为建立工业化的初步基础,中国由1953年至1957年开始执行国民经济和社会发展第一个五年计划,其中,苏联等国援建的156项重工业项目是重点中的重点,“156项工程”被誉为新中国工业的奠基石。

这156项重点工程中唯一一个位于首都的,就是北京热电厂,后改制为国华北京热电厂。这是新中国成立后在北京建设的第一家高温高压热电联产企业,曾是北京市重要的集中供热热源和电力支撑点。国华热电厂总装机容量40万千瓦,供热能力2100万平方米,按照当时全国人均5平米左右的城市居民住房面积计算,相当于可以为400万人的住宅供暖。

Wednesday, August 8, 2018

中拉论坛部长级会议确定新的优先合作领域

过去三年里,世界发生了天翻地覆的变化,即将卸任的智利总统米歇尔·巴切莱特在首都圣地亚哥参加中国-拉美和加勒比国家共同体论坛(以下简称“中拉论坛”)第二届部长级会议时这么说道。

2015年1月,中国与拉共体33国共同举行的首届中拉论坛部长级会议在北京召开,该会议每3年举行一次。那时,《巴黎协定》尚未诞生;《2030年可持续发展议程》还在酝酿;经济保护主义的回归不可想象,巴切莱特说。

首届会议召开后,该论坛就在环境合作方面取得了进展,智利外交部长埃拉尔多·穆尼奥斯说。

 “我们支持多边主义,支持共同面对并治理气候变化、自然灾害等问题,”穆尼奥斯说。

那时候,中国已经通过“一带一路”倡议大大提升了自身的国际影响力。在今年的峰会上,各国外长也承诺将加强与中国在环境和气候变化方面的合作,该项目因此成为关注的焦点。

与会各方通过了《圣地亚哥宣言》,将环境确定为“互利与发展”的八大优先领域之一;并发表了一份关于拉美在“一带一路”倡议中新角色的正式声明,而且很快还将发布一份更为详细的中拉2019-2021年共同行动计划。

在第一届中拉论坛公布的2015-2019年中拉合作计划中,中国国家主席习近平承诺将在接下来的10年内在该地区投资2500亿美元,并使中拉贸易额增至5000亿美元。这番承诺一度成为全球各大媒体的头条新闻。在今年的峰会上,各方对中国在资金方面的期许很高。

是新的道路,还是长久的障碍?

外交部长王毅在开幕式上转达了习近平主席的贺信。信中指出,中拉论坛已成为中拉整体合作的主渠道,带动各领域合作取得丰硕成果。

上届论坛发布的合作计划曾宣布有意建立包括基础设施、科学技术以及文化交流在内的多个行业分论坛。

围绕环境这个偶尔会导致中拉关系紧张的话题建立专门的平台将是朝着正确方向迈出的一步,拉丁美洲中国研究中心主任、前智利驻华大使费尔南多·雷耶斯·玛塔认为。

 “我们已经开始为中拉双方在环境等主题上的反思创造空间,”雷耶斯·玛塔说,他同时也强调,新的宣言中有一段内容专门提到了要努力实现《2030年可持续发展议程》。

 “这么看来,是有进步的,”他说。

拉共体成立于2011年,但目前仍没有办公室、联系电话和电子邮件地址,与中国和拉美国家所参与的更为成熟的多边论坛相比,也不具备相应的机构能力。

例如,与亚太经济论坛(APEC)和20国峰会不同,拉共体为组织内外的非国家参与方提供的活动空间非常有限。

当中拉对话问及这一领域取得了什么进展时,联合国拉丁美洲经济委员会执行秘书艾丽西亚·巴塞纳指向了中拉论坛在学术等领域的分论坛。

 “我们可以一点点朝着这种类型的分论坛前进,”她解释说;“2019-2021年的行动计划谈到了开放的政府,向社会公开信息,让社会参与进来,我觉得这就是我们的方向。”

一带一路连接拉美

中拉论坛部长级会议标志着拉共体正式承认加入中国的“一带一路”倡议,尽管中国外交部最近正式发布的总结与巴拿马签订的新协议的文件中才首次提到这一点。

穆尼奥斯称,各方对这一结果“非常满意”。

他同意巴切莱特的意见,认为21世纪各国之间的互通性增长了四倍,不仅有原先的海上和陆路贸易路线,还有数字和空中通道作为补充。

王毅在全体会议上说:“中拉合作好比一棵果树,如果双方引来‘一带一路’的清泉悉心灌溉,中拉整体合作和双边合作就能更加枝繁叶茂,结出更多甘甜的果实。”

然而,中国在拉美投资的某些基础设施项目因劳工和环境方面引发的争议却让社会学家奥古斯托·巴拉斯感到担忧。

 “一切看似很美,但中国在该地区的行为却应另当别论。中国在投资和贸易领域的言辞和行动之间还有差距,”他说。

批评人士警告,中拉经济关系面临着经济和环境的不可持续性。拉美从中国进口的一系列产品中包括许多高附加值制成品。

而拉美国家向中国大量出口的却是大豆、石油等耗水量大、碳排放高的初级原材料,并且这些产品受全球价格波动的影响,包括曾损害拉美经济的全球经济衰退。

 “这不是中国的错,”智利外交部前外交政策主任卡洛斯·波塔莱斯告诉中拉对话。

 “如果商品价格下跌或上涨,那都发生在市场上。”他还说,每个国家应对价格冲击的能力取决于它的生产系统。

巴塞纳说,与中国合作伙伴合作有助于为拉美经济部门增添活力,比如说农业,并通过可再生能源供能,增强他们的可持续性。她还称赞了中国在公共交通部门的工程。

 “中国坚定地致力于减少城市污染,这是有一定经济成本的,”她还说,“中国就可再生能源做出了明确的承诺,为《巴黎协定》做出了贡献。”

 “他们对此的重视对我们的地球非常重要,”她说。