Thursday, September 27, 2018

अगर कोई कुत्ता अपने जीवन के शुरुआती

कुत्ते मुस्कुराते हैं मगर उन कारणों से नहीं जिनके चलते हम इंसान मुस्कुराते हैं.
प्राणी विज्ञानी जॉन ब्रैडशॉ बताते हैं कि कुत्ता अपने मालिक से थोड़ा प्यार पाने के लिए मुस्कुराता है.
इसलिए ज़रूरी नहीं कि वे मुस्कुरा रहे हों तो हम समझें कि वे खुश हैं. ये एक संकेत हो सकता है कि वे थोड़े बेचैन हैं और आपसे थोड़ा दिलासा या हिम्मत चाहते हैं.
तो जब कभी आपको अपना डॉगी मुस्कुराता नज़र आए तो उसे दुलारना न भूलें.
कुत्तों को यह अहसास नहीं होता कि उन्होंने कुछ ग़लत कर दिया है. हालांकि हमें ऐसा लग सकता है, जब वे शर्मिंदा होने जैसा चेहरा बनाते हैं.
बहुत सारे लोग बताते हैं कि कैसे उनका कुत्ता 'गिल्टी लुक' देता है. मगर विज्ञान बताता है कि कुत्ते उस समय सामने खड़े आदमी की बॉडी लैंग्वेज के आधार पर ऐसी प्रतिक्रिया देते हैं.
अपराध बोध दरअसल एक पेचीदा भाव होता है जिसे कुत्ते नहीं समझ सकते. ऐसे में कुत्ते गिल्टी लुक देते समय दरअसल इस बात को लेकर डरे हुए होते हैं कि उन्हें सज़ा मिल सकती है. मगर उन्हें यह पता नहीं होता कि उन्होंने कुछ ग़लत किया है.
जब एक बार पिल्ले को यह पता चल जाता है कि इंसानों का स्वभाव दोस्ताना होता है, उसका स्वाभाविक ज्ञान उसे बताता है कि इस व्यक्ति के साथ रहने में ही उसके जीवित रहने की ज्यादा संभावनाए हैं.
यही कारण है कि कई कुत्ते तब परेशान हो जाते हैं जब उन्हें अकेला छोड़ दिया जाता है. वे दूर की नहीं सोच पाते और उन्हें ऐसा लग सकता है कि मालिक ने उन्हें हमेशा के लिए छोड़ दिया है. शनल जियोग्राफ़िक के अनुसार इंसानों के साथ रहने के कारण कुत्तों में विलियम्स सिंड्रोम जैसा ही एक सिंड्रोम पैदा हो जाता है.
अगर इंसानों में  और  नाम के जीन्स न हों तो उन्हें विलियम्स सिंड्रोम हो जाता है. यह एक ऐसी अवस्था है जिसमें लोगों को समझने में मुश्किल आती है और उन्हें 'पूरी दुनिया को प्यार करने की आदत' पड़ जाती है.
अगर कुत्तों में देखें तो उनके 
बहुत सारे स्तनधारी जीव प्यार, डर, बेचैनी और खुशी जैसे बुनियादी भावों को महसूस करते हैं. मगर यह पता चला है कि कुत्ते इंसानों के लिए और भी अलग-अलग तरह की भावनात्मक प्रतिक्रियाएं देते हैं.
बहुत सारे लोगों को लगता है कि उनके कुत्ते उन्हें प्यार करते हैं. अब वैज्ञानिकों ने पाया है कि कुत्तों का व्यवहार इस बात पर निर्भर करता है कि वे किसी कितना प्यार करते हैं.
एमॉरी यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर ग्रेगरी बर्न्स ने कुत्तों को एमआरआई के दौरान स्थिर खड़े रहने के लिए ट्रेन किया. यह देखने के लिए कि मालिक की तस्वीरें देखने पर होने वाली खुशी पर उनका दिमाग़ किस तरह की प्रतिक्रिया देता है.
पाया गया कि कुत्ते इंसान की बॉडी लैंग्वेज को चिम्पैंज़ियों से बेहतर समझते हैं.
और  नाम के जीन्स अलग होते हैं. इसी कारण वे इंसानों के संपर्क में आकर ज़्यादा दोस्ताना हो जाते हैं.
अगर कोई कुत्ता अपने जीवन के शुरुआती तीन महीनों में किसी इंसान के संपर्क में नहीं आता है तो वह ताउम्र जंगली रह सकता है.
इसका उदाहरण ऑस्ट्रेलियन डिंगो नाम के कुत्ते हैं जो करीब 4000 साल पहले तक पालतू हुआ करते थे. मगर इस द्वीप पर अकेले छोड़ दिए गए ये कुत्ते अब जंगली बन गए हैं.

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